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रविवार, 10 जुलाई 2011

[] अक्षरों का अवतार भाग { २ } []

                                                                                                            {} चौधरी अक्षर ज्योतिष {}
                                             {}  वल्ड  बेस्ट  बुक         {}
चौधरी अक्षर ज्योतिष के बारे में पूरी तरह से जान्ने के लिए अक्षरों का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है
जब तक आपको अक्षरों का ज्ञान नही होगा तब तक अक्षर ज्योतिष  आपकी समझ में नही आएगी :
चौधरी अक्षर ज्योतिष का एक प्रेज़ भी :
आपने छोड़ दिया तो मानो कि  आपने बहुत ही महत पूण प्रेज़ छोड़ दिया :है
आप जितने प्रेज़ छोड़ दोगे उतने ही आप अक्षर ज्योतिष में कच्चे रह जाओगे इस में दोस हमारा नही आपका होगा जिस तरह छो अक्षरों का अवतार  हुआ  है :जो हमने {}अक्षरों का अवतार भाग एक बताया है {}अब आगे {}
अ इ उ ए ओ अं :{}चार अक्षर मात्रा हिन् : और दो अक्षर मात्रा के साथ उत्पन हुए : मात्रा यानी दो अक्षरों  की धुनी की ताकत हुई :दो अक्षरों के अंदर बहुत सक्ती  थी :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :{ उ   और ओ   की धुनी से बड़े { औ }का अवतार हुआ :}
{: ए और अं की धुनी से बड़ी  {अ: } का अवतार हुआ :
चार अक्षर बड़े ही प्रभाब साली हुए :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :ही रहे :{}जिस तरह अ और उ  धुनी से ओ की उत्पत्ति हुई  थी उसी तरह उ और अ की धुनी से { आ }की उत्पत्ति हुई :
 :और इसी तरह  {} ए और इ  की धुनी से बड़ी { ई }की उत्पत्ति हुई :
{अँ } और ए की धुनी से बड़ी {ऍ }की उत्पत्ति हुई :
इस तरह बारह अक्षर धुनियो से  बने :
धुनी यानी स्वर : धुनी को ही हम सब स्वर कहते है :
इसी लिए इन बारह अक्षरों को हम स्वरों के नाम जानते है  मगर अब सबाल एक और खड़ा होता है :
 चार अक्षर मात्रा हिन है : शेष भाग नम्बर तिन पढ़े :अक्षरों का अवतार भाग ३

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