{} अक्षरों का अवतार भाग { 5 }
अक्षरों का अवतार के सभी भागो में आपको वो जानकारी दी जारही है :जो आज तक इस प्रथ्वी पर किसी ने भी ऐसी जानकारी नही दी होगी :और नही कोई ऐसी जानकारी आगे आपको दे पायेगा :
व्रह्मांड से लेकर भूमंडल तक की जानकारी देवो से लेके मानव तक की जानकारी
हाथी से लेके चिंटी तक का इतिहास चौधरी अक्षर ज्योतिष छुपा है :
चौधरी अक्षर ज्योतिष की किताबे आप लोगों तक बहुत ही जल्दी पहुचेगी :
ये किताबे आप फोन पर मगा सकते हो :
किताबो के नाम ये है
{१ }चौधरी अक्षर ज्योतिष :
{2}अक्षर शास्त्र :
{3}अक्षर साधना :
{4}अक्षर योगा :
{5}अक्षर विद्या :
पांच किताबे प्रकाशित होरही है:
...............................................................................................................
चौधरी अक्षर ज्योतिष की किताब पारिवारिक इन्शानो के लिए है :
जिस में गृहस्थी से जुडी सभी समस्याओ का समाधान है जेसे की :
मकान दोष : नारी दोष :पुत्र दोष :पित्रू दोष :जन्म जात दोष :दिशासुर :
फेक्ट्री मील दूकान के नाम दोष :घर मकान दूकान फेक्ट्री मील बास्तु दोस निबारण :
घर में रसोई :दोष : ऑफिस दिशासुर जेसी समस्याओ समाधान है :
और पति पतिनी का जोड़ा केसा रहेगा :बच्चो के नाम कर्ण केसे करे :
अपनी बहन बेटी के लिए वर देखने का तरीका भी इस किताब में होगा
..............................................................................................................................
अक्षर शास्त्र :शास्त्रियो के लिए है :
और अक्षर योगा :योगियों के लिए है :
अक्षर साधना : साधको के लिए है :
और अक्षर विद्या :टीचर और प्रोफ़ेसर के लिए :
इन सभी किताबो के लेखक :जगदीश भाई चौधरी :
जगदीश भाई चौधरी
पता हेनी गारमेंट :परा बजार लुनावाडा पंचमहेल गुजरात इण्डिया :
फोन न 09904271497
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
लेखक :
जगदीश भाई चौधरी
पता हेनी गारमेंट :परा बजार लुनावाडा पंचमहेल गुजरात इण्डिया
फोन न 09904271497
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
ll ॐ नव शिवाय ll
बुधवार, 13 जुलाई 2011
सोमवार, 11 जुलाई 2011
{} अक्षरों का अवतार भाग { ४ }
संदेश
चौधरी अक्षर ज्योतिष .:में<>
संदेश
हम आपको अक्षरों को कुछ इस तरह से पढ़ायेगे कि आपका जीवन सफल हो जायेगा :
आप की सात पीड़ीयाँ तो क्या आपके सात जन्म तो क्या :
जब तक पातळ और आकाश रहेगा तब तक आपका बंस रहेगा :
आपके बंस को दुबोदेने की छमता किसी में नही होगी :
सभी वेज्ञानिक :और ज्योतियों की भविष्य बाड़ियाँ गलत सावित होंगी :
प्रथ्वी हमेश आवाद रहेगी :आपको कोई गुमराह नही कर सकता :
आप कभी अपने जीवन में दुःख नही देख पाओगे :
आप कभी अपने जीवन में दुःख नही देख पाओगे :
सुखसांति से हरा भरा आपका जीवन होगा :और आगे क्या लिखू आप खुद इतने समझ दार है :
की आप अपना अच्छा बुरा सोच सकते हो :
तो हम बात कर रहे थे {{ अक्षरों का अवतार भाग तीन में }
इन चारो ने घोर तप किया और अपने तप की सकती से आकाश और पातळ हिला दिया :
तब आकाश और पातळ ने इनको आकर पूछा ये ताप किस लिए तब चारो ने बताया
कि जो हम से उत्पन्न हुए है उनके अंदर हम से अधिक सकती है :
तब आकाश ने अ और उ को उनके समान सकती दी :
और पाताल {इ } और { ए } अपनी सकती दी :
मगर चारो अक्षरों को फिर संतोष नही हुआ :और मात्रा लेने से इनकार कर दिया :
हमको इनके समान सकती नही चाहिए :हमको कुछ और अधिक चाहिए :
आकाश और पातळ ने पूछा तो आपको क्या चाहिए :
तब चारोने मिलकर कहा जो हम से उत्पन हुए है :और हम उनके बराबर रहे तो हमारा अस्तुत क्या :
आकाश और पातळ की ये बात कुछ समझ में आई :और मात्राओ के सिवा
आकाश और पातळ ने व्रह्मांड में कुछ भी करने की सकती प्रदान की :
और कहा की अब आप चारो विर्ह्मांड के सब से सकती साली होगये हो :
आपके समान इस विर्ह्मांड में कोई दूसरा सकती साली नही होगा :
जब तक आकाश और पाताल रहेगे तब तक आप सब से सकती साली रहोगे :
चारो को बड़ा हर्ष हुआ :इस तरह से चारो अक्षरों को मात्रा ये मिली :
मगर अ :ने आकाश का पुत्र होने के कारण अपनी मात्रा को कभी स्तेमाल नही किया :
क्यों कि अ जो भी कार्य करता था पिता आकाश का आशीर्वाद लेकर करता था :
इसी लिए कभी अ को अपनी मात्रा की जरूरत नही पड़ी :
इसी लिए अ की मात्रा के विषय में कोई नही जानता :
जो इन्शान अपने माता पिता के
आशीर्वाद के बिना काम करता है उसे कभी पूण सफता नही मिलती :लेखक :जगदीश भाई चौधरी :
....................................................................................................................
आगे पढ़े {}भाग एक व्यंजनों का अवतार :
[] अक्षरों का अवतार भाग { 3 } []
[] अक्षरों का अवतार भाग { 3 } []
बाकी के अक्षरों मात्रा लगी हुई है और ये चार अक्षर मात्रा हिन् है ऐसा क्यों हुआ :
क्या इनको मात्रा देना कुदरत को मंजूर नही था :
या इनको किसी का स्वर नही मिला क्या वजह हो सकती है :
आज व्रह्मांड को बने हुए न जाने कितने करोड़ वर्ष बीत गये :
मगर आज भी बच्चो को इन चार अक्षरों को मात्रा बगेर ही पढाया जाता है :
सभी मास्टर बच्चो को मात्राओ के बारे में बताते है बाद में जब मात्राओ की बारी आती है :
कि ये छोटी इ की मात्रा है :और ये छोटे उ की मात्रा है और ये छोटी ए की मात्रा है :
ये तीनो की मात्रा के बारे में तो मास्टर बताते है :
मगर छोटे अ की मात्रा के बारे में तो कोई मास्टर नही बताता :ऐसा क्यों :
और ये :{इ उ ए }तीन अक्षरों पर मात्रा आई कहाँ से :क्या आपने कभी जानने की कोशिश की
नही की होगी :और अगर आप मात्राओ को खोजने की कोशिश भी करते तोभी जानना मुस्किल होता :
लेकिन अब आपको मात्राओ को खोजने की जरूरत नही पड़ेगी :
क्यों कि आज हम आपके सामने मात्राओ की सारी डिटेल रख देंगे ::
हम आपको अक्षरों को कुछ इस तरह से पढ़ायेगे कि आपका जीवन सफल हो जायेगा :
आप कभी अपने जीवन में दुःख नही देख पाओगे :सुखसांति से आपका जीवन जाएगा
...........................................................................................................................
और अधिक जानने के लिए आगे पढ़े :अक्षरों का अवतार भाग ४ :
[] अक्षरों का अवतार भाग { 4 } []
लेखक :जगदीश भाई चौधरी :अधिक जानकारी के लिए हम से सम्पर्क करे :
फोन न ९१ .9904271497
रविवार, 10 जुलाई 2011
[] अक्षरों का अवतार भाग { २ } []
{} चौधरी अक्षर ज्योतिष {}
{} वल्ड बेस्ट बुक {}
चौधरी अक्षर ज्योतिष के बारे में पूरी तरह से जान्ने के लिए अक्षरों का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है
जब तक आपको अक्षरों का ज्ञान नही होगा तब तक अक्षर ज्योतिष आपकी समझ में नही आएगी :
चौधरी अक्षर ज्योतिष का एक प्रेज़ भी :
आपने छोड़ दिया तो मानो कि आपने बहुत ही महत पूण प्रेज़ छोड़ दिया :है
आप जितने प्रेज़ छोड़ दोगे उतने ही आप अक्षर ज्योतिष में कच्चे रह जाओगे इस में दोस हमारा नही आपका होगा जिस तरह छो अक्षरों का अवतार हुआ है :जो हमने {}अक्षरों का अवतार भाग एक बताया है {}अब आगे {}
अ इ उ ए ओ अं :{}चार अक्षर मात्रा हिन् : और दो अक्षर मात्रा के साथ उत्पन हुए : मात्रा यानी दो अक्षरों की धुनी की ताकत हुई :दो अक्षरों के अंदर बहुत सक्ती थी :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :{ उ और ओ की धुनी से बड़े { औ }का अवतार हुआ :}
{: ए और अं की धुनी से बड़ी {अ: } का अवतार हुआ :
चार अक्षर बड़े ही प्रभाब साली हुए :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :ही रहे :{}जिस तरह अ और उ धुनी से ओ की उत्पत्ति हुई थी उसी तरह उ और अ की धुनी से { आ }की उत्पत्ति हुई :
:और इसी तरह {} ए और इ की धुनी से बड़ी { ई }की उत्पत्ति हुई :
{अँ } और ए की धुनी से बड़ी {ऍ }की उत्पत्ति हुई :
इस तरह बारह अक्षर धुनियो से बने :
धुनी यानी स्वर : धुनी को ही हम सब स्वर कहते है :
इसी लिए इन बारह अक्षरों को हम स्वरों के नाम जानते है मगर अब सबाल एक और खड़ा होता है :
चार अक्षर मात्रा हिन है : शेष भाग नम्बर तिन पढ़े :अक्षरों का अवतार भाग ३
{} वल्ड बेस्ट बुक {}
चौधरी अक्षर ज्योतिष के बारे में पूरी तरह से जान्ने के लिए अक्षरों का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है
जब तक आपको अक्षरों का ज्ञान नही होगा तब तक अक्षर ज्योतिष आपकी समझ में नही आएगी :
चौधरी अक्षर ज्योतिष का एक प्रेज़ भी :
आपने छोड़ दिया तो मानो कि आपने बहुत ही महत पूण प्रेज़ छोड़ दिया :है
आप जितने प्रेज़ छोड़ दोगे उतने ही आप अक्षर ज्योतिष में कच्चे रह जाओगे इस में दोस हमारा नही आपका होगा जिस तरह छो अक्षरों का अवतार हुआ है :जो हमने {}अक्षरों का अवतार भाग एक बताया है {}अब आगे {}
अ इ उ ए ओ अं :{}चार अक्षर मात्रा हिन् : और दो अक्षर मात्रा के साथ उत्पन हुए : मात्रा यानी दो अक्षरों की धुनी की ताकत हुई :दो अक्षरों के अंदर बहुत सक्ती थी :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :{ उ और ओ की धुनी से बड़े { औ }का अवतार हुआ :}
{: ए और अं की धुनी से बड़ी {अ: } का अवतार हुआ :
चार अक्षर बड़े ही प्रभाब साली हुए :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :ही रहे :{}जिस तरह अ और उ धुनी से ओ की उत्पत्ति हुई थी उसी तरह उ और अ की धुनी से { आ }की उत्पत्ति हुई :
:और इसी तरह {} ए और इ की धुनी से बड़ी { ई }की उत्पत्ति हुई :
{अँ } और ए की धुनी से बड़ी {ऍ }की उत्पत्ति हुई :
इस तरह बारह अक्षर धुनियो से बने :
धुनी यानी स्वर : धुनी को ही हम सब स्वर कहते है :
इसी लिए इन बारह अक्षरों को हम स्वरों के नाम जानते है मगर अब सबाल एक और खड़ा होता है :
चार अक्षर मात्रा हिन है : शेष भाग नम्बर तिन पढ़े :अक्षरों का अवतार भाग ३
भाग { 1} अक्षरों का अबतार
: चौधरी अक्षर ज्योतिष :
चौधरी अक्षर ज्योतिष की सुरुआत उस समय से होती है :
जिस समय आकाश और पाताल के सिवा इस दुनियां में और कुछ नही था :
आकाश की गर्मी से { अ } उत्पत्ति हुई :
और पातळ सीतलता की लहरों से { इ }उत्पत्ति हुई :
अ } की धुनी से { उ } का अवतार हुआ :
और { इ } की धुनी से { ए } अवतार हुआ :
अ और {उ } दोनों की धुनी से { ओ } का अवतार हुआ :
इ }और ए } इन दोनों की धुनी से { अं } का अवतार हुआ :
चौधरी अक्षर ज्योतिष की सुरुआत उस समय से होती है :
जिस समय आकाश और पाताल के सिवा इस दुनियां में और कुछ नही था :
आकाश की गर्मी से { अ } उत्पत्ति हुई :
और पातळ सीतलता की लहरों से { इ }उत्पत्ति हुई :
अ } की धुनी से { उ } का अवतार हुआ :
और { इ } की धुनी से { ए } अवतार हुआ :
अ और {उ } दोनों की धुनी से { ओ } का अवतार हुआ :
इ }और ए } इन दोनों की धुनी से { अं } का अवतार हुआ :
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
{} अक्षर और अम्रत {}
अक्षर के विषय में जब तक आपको पूरी तरह जानकारी न हो :
तब तक आप अक्षर को किसी भी तरीके से न अजमाए :
अक्षर से हम ज्योतिष देखे है तो सब से पहले हमें इस बात का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है :
कि कोंन से अक्षर कि कोंन सी दिशा है :और उस अक्षर की उम्र क्या है :
इसके अलावा अक्षर सुबाव क्या है :अक्षर का नेचर क्या है :कोंन से अक्षर पर किसकी मात्रा है :
और वो जो मात्रा वो अक्षर को कितना नुक्सान देरही है :ये जानकारी बहुत ही जरुरी है :
आपके नामके लिए कोंनसा अक्षर जहर है और कोंनसा अक्षर आपके नाम के लिए अम्रत है :
ज्योतिष के लिए इतना जानना बहुत ही जरुरी है :
{} इसे ही अक्षर योग है {}
अक्षर योग के विषय में इतनी जानकारी जरुरी है कि :
कोंन से अक्षर की कोंन सी अपने सरीर में स्वास नली है :
जितने अक्षर है उतनी ही अपने सरीर में स्वास नली है :
कोंन से समय पर कोंन सी स्वास नली खुलती है :
और कोंसे समय कोंसी स्वास नली बंद होती है :
जेसे बारह स्वर है : ये
अ इ उ ए अं
इनके बारह ही स्वर नली :
ये ३६ :ब्यंजन है :इनके भी अपने सरीर ३६ स्वर है ओर ३६ स्वर नली है :
ये जानकारी बगेर आप अक्षर योग नही कर सकते :
और कोनसा अक्षर आपको समाधि की ओर लेजायेगा :
कोंन अक्षर नाभी का है :
ऐसा किसी भी प्रकार का आपको ज्ञान नही ओर आप अक्षर योग करने बेथ गये :
तो आपको हानि ही होगी :
बहुत से लोगोके बारे में आपने सूना होगा :
कि वो कोई जाप करते करते पागल होजाते है :
क्यों होजाते है :कि वो किसी से थोड़ी सी जानकारी लेते :
या किसी किताब कानकारी कर लेते है ओर
जाप कने बेठ जाते है :योग कने लगते :
नतीजा भयानक होता :
बिना गुरु के कोई भी चीज को पाना नामुनकिन है :
अ इ उ ए अं =
क ख ग घ ङ =
च छ ज झ ञ =
ट ठ ड ढ ण =
त थ द ध न =
प फ ब भ म _
य र ल व्
श ष स ह
.......................................................
तब तक आप अक्षर को किसी भी तरीके से न अजमाए :
अक्षर से हम ज्योतिष देखे है तो सब से पहले हमें इस बात का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है :
कि कोंन से अक्षर कि कोंन सी दिशा है :और उस अक्षर की उम्र क्या है :
इसके अलावा अक्षर सुबाव क्या है :अक्षर का नेचर क्या है :कोंन से अक्षर पर किसकी मात्रा है :
और वो जो मात्रा वो अक्षर को कितना नुक्सान देरही है :ये जानकारी बहुत ही जरुरी है :
आपके नामके लिए कोंनसा अक्षर जहर है और कोंनसा अक्षर आपके नाम के लिए अम्रत है :
ज्योतिष के लिए इतना जानना बहुत ही जरुरी है :
{} इसे ही अक्षर योग है {}
अक्षर योग के विषय में इतनी जानकारी जरुरी है कि :
कोंन से अक्षर की कोंन सी अपने सरीर में स्वास नली है :
जितने अक्षर है उतनी ही अपने सरीर में स्वास नली है :
कोंन से समय पर कोंन सी स्वास नली खुलती है :
और कोंसे समय कोंसी स्वास नली बंद होती है :
जेसे बारह स्वर है : ये
अ इ उ ए अं
इनके बारह ही स्वर नली :
ये ३६ :ब्यंजन है :इनके भी अपने सरीर ३६ स्वर है ओर ३६ स्वर नली है :
ये जानकारी बगेर आप अक्षर योग नही कर सकते :
और कोनसा अक्षर आपको समाधि की ओर लेजायेगा :
कोंन अक्षर नाभी का है :
ऐसा किसी भी प्रकार का आपको ज्ञान नही ओर आप अक्षर योग करने बेथ गये :
तो आपको हानि ही होगी :
बहुत से लोगोके बारे में आपने सूना होगा :
कि वो कोई जाप करते करते पागल होजाते है :
क्यों होजाते है :कि वो किसी से थोड़ी सी जानकारी लेते :
या किसी किताब कानकारी कर लेते है ओर
जाप कने बेठ जाते है :योग कने लगते :
नतीजा भयानक होता :
बिना गुरु के कोई भी चीज को पाना नामुनकिन है :
अ इ उ ए अं =
क ख ग घ ङ =
च छ ज झ ञ =
ट ठ ड ढ ण =
त थ द ध न =
प फ ब भ म _
य र ल व्
श ष स ह
.......................................................
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
अक्षर गंगा
आज में वृह्म्मांड के उस पिलेट्फार्म पर खड़ा हूँ :
जहां से मुझे सारी कायनात अक्षर ही नजर आती है :
मेरी जहां तक नजर जाती है :अक्षर ही नजर आते है :
सतयुग से लेकर कलयुग तक :
गीता से लेकर रामायण तक :
और रामायण से लेकर पुराणो तक :
और पुराणो से लेकर वेदों तक :
मुझे अक्षर ही नजर आते है :
अगर ये अक्षर न होते तो क्या होता :
मेरी नजर से देखो तो न मानव होता न दानव होता :
न आकाश न पाताल होता :
न पृथ्वी होती न कोई भूमंडल होता :
होता तो बस शून्य होता :
मेरे अंदाज पहले शून्य ही होगा :
लेकिन शून्य होगा तो शून्य का मतलव है निराकार :
और निराकार को साकार बनाने बाला कोंन है :
हिन्दू धर्म के हिशाव से तो
वृह्म्मा विष्णु महेश है :अगर वृह्म्मा विष्णु महेश है :
तो इन तीनो के नाम किसने रक्खे थे :
वो नाम रखने बाला कोंन था :
इन तीनो देवो के नाम रखने के लिए अक्षर कहाँ से आये थे :
हम ने बुजुर्गो के मुख सूना है :
की वृह्म्मा जी कमल के फूल में से निकले थे :
अथाल जल में कमल आया कहाँ से :
उस कमल हो उगाने बाला कोंन था :
में मानता हु की कमल पानी में उगता है :
मगर यहाँ पर भी कई सवाल खड़े होते है :
की बिना हवा के बिना उर्जा के कमल खिला केसे :
और वृह्म्मा जी बाहर निकले केसे :?
में मानता हु कि आपकी नजर में ये मूड ज्ञान है :
मगर सब से बड़ा सवाल एक और भी है :
कि इतना जल { पानी } आया कहाँ से :
क्या जल को भी कोई गंगा कि तरह लाया था :
अगर लाया गया था तो वो कोन था ?
और जल { पानी } किस ने नाम रक्खा ? क्या अक्षर तव भी थे
वृह्म्मा जी से पहले भी कोई था ?अगर था तो वो कोन था :?
और पानी वहां पर पहले से ही था तो इतना पानी आया कहाँ से ?
विज्ञान कहती है :कि पानी की उत्तपति आग से होती है :
अगर पानी की उत्तपति आग से हुई है :तो उस समय तो आग हो ही नही सकती :
इसका मतलव है आकाश गर्म है :
और आकाश गर्म है तो उसे गर्म करने बाला कोन है ?
क्या वो भगवान है : जो अपनी सकती से आकाश को गर्म कर रहे है :
या अक्षरों कि सकती इतनी है :
इसकी खोज अभी चालू है :
इस बिसे में किसी के पास अगर कोई जानकारी है तो हमें मेल करे :
इमेल :chiraglunawada@yahoo.com पर या हमें फोन करे :
09904271497 पर :
लेखक :जगदीश भाई चौधरी
जहां से मुझे सारी कायनात अक्षर ही नजर आती है :
मेरी जहां तक नजर जाती है :अक्षर ही नजर आते है :
सतयुग से लेकर कलयुग तक :
गीता से लेकर रामायण तक :
और रामायण से लेकर पुराणो तक :
और पुराणो से लेकर वेदों तक :
मुझे अक्षर ही नजर आते है :
अगर ये अक्षर न होते तो क्या होता :
मेरी नजर से देखो तो न मानव होता न दानव होता :
न आकाश न पाताल होता :
न पृथ्वी होती न कोई भूमंडल होता :
होता तो बस शून्य होता :
मेरे अंदाज पहले शून्य ही होगा :
लेकिन शून्य होगा तो शून्य का मतलव है निराकार :
और निराकार को साकार बनाने बाला कोंन है :
हिन्दू धर्म के हिशाव से तो
वृह्म्मा विष्णु महेश है :अगर वृह्म्मा विष्णु महेश है :
तो इन तीनो के नाम किसने रक्खे थे :
वो नाम रखने बाला कोंन था :
इन तीनो देवो के नाम रखने के लिए अक्षर कहाँ से आये थे :
हम ने बुजुर्गो के मुख सूना है :
की वृह्म्मा जी कमल के फूल में से निकले थे :
अथाल जल में कमल आया कहाँ से :
उस कमल हो उगाने बाला कोंन था :
में मानता हु की कमल पानी में उगता है :
मगर यहाँ पर भी कई सवाल खड़े होते है :
की बिना हवा के बिना उर्जा के कमल खिला केसे :
और वृह्म्मा जी बाहर निकले केसे :?
में मानता हु कि आपकी नजर में ये मूड ज्ञान है :
मगर सब से बड़ा सवाल एक और भी है :
कि इतना जल { पानी } आया कहाँ से :
क्या जल को भी कोई गंगा कि तरह लाया था :
अगर लाया गया था तो वो कोन था ?
और जल { पानी } किस ने नाम रक्खा ? क्या अक्षर तव भी थे
वृह्म्मा जी से पहले भी कोई था ?अगर था तो वो कोन था :?
और पानी वहां पर पहले से ही था तो इतना पानी आया कहाँ से ?
विज्ञान कहती है :कि पानी की उत्तपति आग से होती है :
अगर पानी की उत्तपति आग से हुई है :तो उस समय तो आग हो ही नही सकती :
इसका मतलव है आकाश गर्म है :
और आकाश गर्म है तो उसे गर्म करने बाला कोन है ?
क्या वो भगवान है : जो अपनी सकती से आकाश को गर्म कर रहे है :
या अक्षरों कि सकती इतनी है :
इसकी खोज अभी चालू है :
इस बिसे में किसी के पास अगर कोई जानकारी है तो हमें मेल करे :
इमेल :chiraglunawada@yahoo.com पर या हमें फोन करे :
09904271497 पर :
लेखक :जगदीश भाई चौधरी
सोमवार, 4 जुलाई 2011
[] शनिदेव क़ी साडेसाती से मुक्त किया जासकता है साड़े सात मिनट में {}
[] शनिदेव क़ी साडेसाती से मुक्त किया जासकता है साड़े सात मिनट में {}
सभी मुझ से बड़े महान पुरुषो को ज्योतिष और शास्त्री को और सभी गुरू जानो को : जगदीश भाई चौधरी का बार बार नमन :में जो भी लिखता हूँ मानव के हित के लिए लिखता हूँ :सभी लेखो को लिखने में न मेरा कोई स्वाथ है ना ही मुझे कोई लोभ है न मुझे किसी भी प्रकार का कोई लालच है :ना ही मुझे नाम कमाने का शोख है :में अपने गुरु के आशिर्बाद से और भगवान क्रपा से मातारानी की महेरवानी से सर्व सुखी इन्शान हूँ :
में जो ज्योतिष करता हूँ :
उसकी कोई फी कि कोई भी और किसी भी प्रकार की GIFT स्वीकार नही करता :
अगर मेरी लेखनी में कोई भूल होती है :
तो में क्षमा पात्र हूँ :क्यों आज में लिखने जारहा हूँ :
वो कोई आशान चीज नही है :जिस के मारे सारी दूनियाँ दहलाती है :
जिसका नाम सुनते ही:
लोगो के शरीर कांपने लगते है :
भगवान हो या देव :
नाम सुनते पसीना आजाता हैं :
क्यों कि वो हैं शनिदेव :
जिस समय सनी क़ी साड़ेसाती आती हैं :
राजा को भी फकीर बनाजाती है :
मगर अक्षरों को शनिदेव ने भी काफी मान दिया हैं :
क्यों कि अक्षरों से ही सभी देवी देवताओ के यंत्र मन्त्र बनते है :
आरती हो या अराधना होती है स्तुति हो या बिनती हो :
अक्षरों से ही कि जाती है :
इसी लिए अक्षरों को सभी देवो ने भी अपने से बढकर माना है :
जब सभी देवो ने अक्षरोंको अपने बड़कर माना है तो इन्शान क्यों नही मानेगे :
जरुर मानेगे आज नही तो कल मानेगे :
फर्क इतना होगा कि पड़ने के लिए चौधरी अक्षर ज्योतिष तो होगी :
मगर समझाने के लिए जगदीश भाई चौधरी नही होंगे :
क्यों कि अमर कोई नही रहा तो हम कहाँ हौंगे
अक्षरों के सिवा :इस दूनियाँ में कोई अमर नही है :
अक्षर अमर है और अमर ही रहेगे :
जिन्होंने अक्षरों को पूरी तरह जाना है :
वो अमर होगये :है
और जिन्होंने अक्षरों नही जाना वो मिट्टी में मिल गये :
अक्षरों का इतिहास बहुत बड़ा है आगे और भी लिखता रहुगा अगर इश्वर कि क्रपा बनी रही तो और अक्षरों ने साथ दिया तो :और भी आगे लिखता रहुगा :
अब आते है मेंन बात पर :
तो मेरे प्रिय जानो अक्षर कि सकती के बल से :
विश्व के किसी भी कौने में इन्शान हो और उसपर शनिदेव क़ी साड़े साती चल रही हो तो अक्षरों से ही शनिदेव की साड़े साती को साड़े सात मिनट में आजीवन के लिए
अक्षर क़ी सकती से शनिदेव क़ी साडेसाती से मुक्त किया जासकता है फोन पर ही फोन न 9904271497
लेखक : जगदीश भाई चौधरी :
लेखक जगदीश भाई चौधरी परा बाजार लुनावाडा गुजरात
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
शनिवार, 2 जुलाई 2011
:क्या हिंदी एक भाषा ही है :कि कुछ और भी है :जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष में :
:क्या हिंदी एक भाषा ही है :कि कुछ और भी है :जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष में :
मेरे प्रिय दोस्तों ..:हिंदी हिन्दुस्तान की भाषा तो हैं ही लेकिन हिंदी हिंदी भाषा के अलाबा एक विज्ञान भी है :
एक ऊर्जा शक्ति है :
हिंदी के हर एक अक्षर में वो शक्ति है जो पूरे ब्रह्मांड में इतनी शक्ति किसी में भी नही है :
हिंदी के हर एक अक्षर के स्वर में वो ध्वनी छुपी हुई है :
जिसे सुनकर भगवानो के सिंगांसन तो क्या आकाश पाताल भी हिलने लगते है :
हर एक अक्षर के स्वर में इतनी शक्ति है :
हिंदी भाषा का हर एक अक्षर हर एक शब्द बहुत ही अनमोल है मानव के लिए :
मगर हम भारत वासियों ने अपनी भाषा की कोई कदर नही की :
और हम दुसरे देशो की भाषा में ऐसे लुप्त गये कि हम अपनी भाषा तो क्या हम अपने संस्कार भी भूल गये :
आपको शायद ये नही पता कि हिंदी के हर एक से हमारे देवी देवताओ के यंत्र मन्त्र तन्त्र छुपे हुए है :
एक मन्त्र को सिध्ध करने से हमारे देवी देवता हम पर प्रसंद हो जाते हैं :
हिंदी के हर एक अक्षर में वो वशीकर्ण छुपा हुआ है
जिसे चाहो उसे अपने बस में कर सकते हो :
मेरे भाईयो हिंदी का हर शब्द सनातन है :
हिंदी के हर एक अक्षर की ध्वनि हमको एक नया पैगाम देती है मगर हम समझ नही पाते हम अपनी जिन्दगी की उलझनों में इतने उलझे रहते कि हम को कुछ पता ही नही होता
कभी एकांत होकर आप अपने शरीर पूछो कि अक्षर क्या है हिंदी के हर शब्द का मतलव क्या है ?
शायद आपको पता नही कि हमारी भाषा एक विज्ञान है
व्याकरण हमें इनकी परिभाषाओं से जानकारी करवाते हैं . लेकिन हकीकत में हम उसकी मूल गहराई के विषय में नहीं जानते कि अक्षर की भी कोई मूल गहराई होती है . लेकिन जैसे ही हम अक्षरों के विषय में सोचते हैं तो एक रोचक सा संसार हमारे सामने उपलध होता है . हम जितनी गहराई से अक्षर को समझेंगे उतनी ही गहराई हमारे सामने आती जायेगी :हम अक्षरो के बारे में जितना जाने उतना ही कम है :
जी हाँ वास्तविकता तो यही है : यह प्रश्न उठना भी स्वाभाविक है , कि इसका हल हमारी बुद्धि के अपेक्षा बहुत ज्यादा है : आज से कुछ बर्षो पहले जब हमारे पूर्वजो के यहाँ जब बच्चा पैदा होता था तो :बड़े बड़े विद्वानों को ऋषि मुनि को बुलाकर अपने बच्चे का नाम कर्ण कराते थे :
और वो विद्वान बच्चे का नाम कर्ण करने से पहले उन अक्षरों को सिद्ध करते थे जिन अक्षरों से बच्चे का नाम कर्ण करना होता था : तब जाके बच्चे का नाम रखते थे :
जो मुह में आगया वही नाम बच्चे का रख दिया :
तो आप खुद ही सोच सकते हो कि धरती वीरो से क्यों खली है :
दोहा ::{} ऋषि मुनि अब रहे नही और ज्ञान का होगया अंत :
अक्षर विद्या अब कहाँ मिले इंग्लिश बोले साधू संत :अब बात करते हैं कि ध्वनि क्या है ?
आम तौर पर "आवाज" को हम वैज्ञानिक भाषा में हम ध्वनि कहते हैं .
जेसे कि हरमुनियम में जिस प्रकार स्वर होते है :
वेसे ही स्वर हमारे अंदर भी होते है :-
नाक कान मुंह गला आँखे दांत जीभ :
जिस जिस जगह से अपने शरीर में से स्वर निकल ते है :
उन सभी स्वरों का मतलव अलग अलग होता है :
इसी प्रकार अक्षर योग होते है और इसी प्रकार अखर साधना होती है :
. जिसे हमने अक्षर साधना के बल पर महसूस किया है , उसे सब के समक्ष कैसे करेंगे .
प्रक्रिया की आवशयकता होती है . नियंत्रित ध्यान के माध्यम से इस "नाद" को सुना जाता है, महसूस किया जाता है . चित्त को ( आत्मा को परमात्मा से ) जोड़ना ही योग है . लेकिन इस जुड़ाव के लिए भी कोई ना कोई माध्यम तो चाहिए ही , औअ इ उ ए अं =
क ख ग घ ङ =
च छ ज झ ञ =
ट ठ ड ढ ण =
प फ ब भ म =
त थ द ध न य र ल व
क ख ग घ ङ =
च छ ज झ ञ =
ट ठ ड ढ ण =
प फ ब भ म =
त थ द ध न य र ल व
श ष स श्र..
ह क्ष ज्ञ त्र
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''
ये लेख आपको केशा लगा अपनी राय जरुर भेजे:
और आपको इस लेख से क्यों जानकारी मिली ये जरुर लिखे:
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' '''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''''
चौधरी अक्षर ज्योतिष के:
लेखक: जगदीश भाई चौधरी:
फोन 09904271497 न:
पता: हेनी गार
र वह है चौधरी अक्षर ज्योतिष:अक्षर के विशे में और अधिक जानने के लिए पढ़ते रहे चौधरी अक्षर ज्योतिष :;;;;;;;;
.......................................................................................................................................
क्या हिंदी एक भाषा ही है :कि कुछ और भी है :भाग { 2 } जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष में :..........................................................................................................................................
सदस्यता लें
संदेश (Atom)