आज में वृह्म्मांड के उस पिलेट्फार्म पर खड़ा हूँ :
जहां से मुझे सारी कायनात अक्षर ही नजर आती है :
मेरी जहां तक नजर जाती है :अक्षर ही नजर आते है :
सतयुग से लेकर कलयुग तक :
गीता से लेकर रामायण तक :
और रामायण से लेकर पुराणो तक :
और पुराणो से लेकर वेदों तक :
मुझे अक्षर ही नजर आते है :
अगर ये अक्षर न होते तो क्या होता :
मेरी नजर से देखो तो न मानव होता न दानव होता :
न आकाश न पाताल होता :
न पृथ्वी होती न कोई भूमंडल होता :
होता तो बस शून्य होता :
मेरे अंदाज पहले शून्य ही होगा :
लेकिन शून्य होगा तो शून्य का मतलव है निराकार :
और निराकार को साकार बनाने बाला कोंन है :
हिन्दू धर्म के हिशाव से तो
वृह्म्मा विष्णु महेश है :अगर वृह्म्मा विष्णु महेश है :
तो इन तीनो के नाम किसने रक्खे थे :
वो नाम रखने बाला कोंन था :
इन तीनो देवो के नाम रखने के लिए अक्षर कहाँ से आये थे :
हम ने बुजुर्गो के मुख सूना है :
की वृह्म्मा जी कमल के फूल में से निकले थे :
अथाल जल में कमल आया कहाँ से :
उस कमल हो उगाने बाला कोंन था :
में मानता हु की कमल पानी में उगता है :
मगर यहाँ पर भी कई सवाल खड़े होते है :
की बिना हवा के बिना उर्जा के कमल खिला केसे :
और वृह्म्मा जी बाहर निकले केसे :?
में मानता हु कि आपकी नजर में ये मूड ज्ञान है :
मगर सब से बड़ा सवाल एक और भी है :
कि इतना जल { पानी } आया कहाँ से :
क्या जल को भी कोई गंगा कि तरह लाया था :
अगर लाया गया था तो वो कोन था ?
और जल { पानी } किस ने नाम रक्खा ? क्या अक्षर तव भी थे
वृह्म्मा जी से पहले भी कोई था ?अगर था तो वो कोन था :?
और पानी वहां पर पहले से ही था तो इतना पानी आया कहाँ से ?
विज्ञान कहती है :कि पानी की उत्तपति आग से होती है :
अगर पानी की उत्तपति आग से हुई है :तो उस समय तो आग हो ही नही सकती :
इसका मतलव है आकाश गर्म है :
और आकाश गर्म है तो उसे गर्म करने बाला कोन है ?
क्या वो भगवान है : जो अपनी सकती से आकाश को गर्म कर रहे है :
या अक्षरों कि सकती इतनी है :
इसकी खोज अभी चालू है :
इस बिसे में किसी के पास अगर कोई जानकारी है तो हमें मेल करे :
इमेल :chiraglunawada@yahoo.com पर या हमें फोन करे :
09904271497 पर :
लेखक :जगदीश भाई चौधरी
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