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मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

}{ कविता }{ चौधरी अक्षर ज्योतिष विज्ञान की एक झलक कविता द्वारा




चौधरी अक्षर ज्योतिष विज्ञान
चौधरी अक्षर ज्योतिष विज्ञान की एक झलक कविता द्वारा

अक्षर है तो दुनियां है अक्षर के बिना अंधेरा 



अक्षर से ही चाद और सूरज अक्षर से बनें सवेरा ॥

अक्षर से ही धरती अम्बर और अक्षर से तारे 



अक्षर ही है भाग्य-विधाता लिखते भाग्य हमारे ॥

अक्षर से ही जीवन मृत्यु जो समझे वह ज्ञानी 

अक्षर से ही हवा चलती अक्षर से ही बरसे पानी ॥ 

अक्षर से ही वेदशास्त्र हैं अक्षर से ही बढ़ता ज्ञान 

अक्षर से ही सब जीव बनें है अक्षर से ही इन्सान ॥

अक्षर ही भूले - भटके राही को राह दिखाते है

नादान और अज्ञानी को अक्षर ही ज्ञान सिखाते है 
 ॥

अक्षर से ही विधि बनें और अक्षर से बनें विधान

अक्षर से ही गीता बनी और अक्षर से बनी कुर्रान
 ॥

अक्षर ज्ञान महाज्ञान हैं इसे मिलकर सीखो भाई

अक्षर से ही अमन बनें और अक्षर से बनें तबाही 
 ॥

अक्षर से ही सब देश बने हैं पर प्यारा है हिन्दुस्तान

जय हिन्द जय हिन्द जय जय हिन्दुस्तान ॥

चौधरी अक्षर ज्योतिष विज्ञान {R} , {c}copyright ’

लेखक : जगदीशभाई रामप्रसाद चौधरी

m , 9904271497


शनिवार, 13 अगस्त 2011

भक्ति सागर भाग { 1

                                                       आजके युग  का सब से बड़ा सबाल
                                                        भगवान् हमारी क्यों नही सुनता  ;
                                                        भगवान् हमें दर्शन क्यों नही देता :
                                                        भगवान् हमें क्यों नही मिलता :
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इस प्रकार के सबाल इंसान के दिल में व्रह्म पैदा करते रहते है :
हर इंसान अपने आप में अकेला सा महसूस करता है :
हर इंसान समझोते की जिन्दगी जी रहा है :
मगर इस बात का सही रास्ता कोई नही जानता :कि
हमें भगवान् क्यों नही मिलते हमें दर्शन क्यों नही देते  :
आस्था का कटोरा लेकर दर बदर भट्कते रहते है :
बिन मंजिल के राही की तरह :
मगर कोई अपने आपसे नही पूछता कि भगवान हमें दर्शन क्यों नही देते :
देखा देखी ना ना प्रकार से भगवान को मनाने में लगे है :
कोई न्हलारहा  है कोई कपडे पहना रहा है :
कोई मुह से बुला रहा है :कोई मायक से बुला रहा है :
क्या भागवान कोई इंसान है जो इस तरह से सुन लेगा :
वो भगवान है निराकार है वो अंतर यामी है : भगवान को दिल से याद करना पड़ता है :
दिल ही  से बुलाना पड़ता  है:
आजके जमाने में भगवान को मनाने में एक दोड़ सी लगी हुई है :
मगर अफ़सोस सभी के हाथ खाली है :
जब कि इंसान अपनी आस्था में कोई कमी नही छोड़ रहा :
ना ना प्रकार के चढ़ावे  भगवान को चढ़ाये  जारहे है :
पर हाथ खली के खली है :
मेरे प्रिय मित्रो भगवान को मनाने का एक सही उपाय हम आपको बताते है :
आप अजमाकर जरुर देखे :
{१} उपाय : धुला हुआ आसन :नाक के दोनों खुले हुए स्वर होने चाहिए  :
      आँखों की दोनों पलके मिली हुई होनी चाहिए :
        और हॉट बंद होने चाहिए और ध्यान आखो की दोनों पलकों पर
       आखे कुछ इस तरह बंद होनी चाहिए कि न तो आखो में उजाला हो और न अधेरा :
पहले दिन आप 5 मिनट करे फिर हर रोज एक मिनट बड़े :
अगर आपके के नाम के अक्षर सीधे है :तो आप जिस देव को मानते है वो देव कुछ ही दिनों में आपके सामे होंगे :
अगर आपके के नाम में अक्षर सीधे न हो :और मात्रा सीधी हो तो :
अगर आपके नाम में कोई मात्रा नही है :और आपके नाम के अक्षर सीधे है तो बात ही क्या है :
 फिर भी  आप इस आसन को करने से पहले :एक बार हमसे जानकारी जरुर लेले
हमारा फोन न 09904271497 :


{} अक्षर ज्ञान और जिन्दगी का समाधान : {} भाग 2 {


तिस महीने  से इंटर नेट की दुनियां में : काफी हल चल मचा रही चौधरी अक्षर ज्योतिष :
हर इन्शान को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ये अक्षर ज्योतिष है तो क्या है :
क्या अक्षरों से इन्शान अपना भविष्य देख सकता है :
क्या इन्शान अपने अंदर उर्जा सकती बढ़ा सकता है :
क्या अक्षरों से इन्शान अपनी मंजिल को पासकता है :
क्या अक्षरों से इन्शान  अपने दुखो का नास कर सकता है :
क्या अक्षरों से इन्शान व्रहम ज्ञान  को पासकता है :
ना जाने ऐसे कितने सबाल इन्शान की जिन्दगी में उतल पाथल कर रहे है :
इन्शान कोई भी हो सबाल उसके अजीब होते है :
हौली बुड हो या बोलोबुड़ हो इन्शान किसान हो या मजदूर  हो :
बिजिनिस मेन हो या नोकरीयात हो नेता हो या अभिनेता हो
ज्योतिषी हो या आचार्य हो साधू हो या फकीर हो सबाल ओहो :
दांतौ तले  उगली दवा जाओगे ऐसे होते है :
कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि ये संसार दुखो का सागर है :
जिसे हम प्रथ्वी कहते है :
भारत के अलाबा ना जाने कितने देशो में से हमारे पास फोन आते है :
आज से कुछ बर्ष पहले हम तो यही सोचते थे कि दुःख सिर्फ भरत में ही है :
मगर जब से हम इंटर नेट की दुनिया में आये : और लोगो  के फोन आना सुरु हुआ
तब से हमे ये अह सास हुआ कि दुःख भारत में ही नही पुरे विश्व में है :
मगर हमने सभी की बातो को सुन ने बाद ये अहसास किया है कि :
इन्शान अपने ही पाले हुए दुखो से परेशांन है :अपनी सोच के कारण ही दुखी है :
मगर कुछ लोगो के दुःख  सही भी है :और सही भी इतने है कि उनको मिटाना लोखन के चना चबाने के बराबर है :
बचपन से लेकर बुढापे तक इन्शान ने कभी शुख की रोटी नही खाई ऐसे भी इन्शान मेरी जिन्दगी में आरहे है :
मगर अक्षर ज्योतिष के कारण अब वो सुख सांति से अपना जीवन वितित कर रहे है :
आप भी चौधरी अक्षर ज्योतिष से जुड़े और अपनी समस्या का समाधान करना सीखे :
अधिक जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करे :
पता :
हेनी गारमेंट : परा बजार लुनावाडा :
पंच महल गुजरात इण्डिया :
फोन न  09904271497:

कॉपी रायट २०१०.२०११
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{} अक्षर ज्ञान और जिन्दगी का समाधान {} भाग { 1 }


जब `भी में अकेले में बेठता हु : तो मुझे अक्षरों  की धुनी सुनाई देने लगती है :
मुझे उस समय ऐसा लगता है कि ये अक्षर मुझ से कुछ कहना चाहते है :
मगर उस समय पर में कुछ जादा समझ  नही पता क्यों कि उस समय हर अक्षर की घुनी अलग अलग होती :
मेरा मायंड घुमने लगता है
और उस समय मेरी आँखों के सामने एक धुंध सी छाजाती है
और धुंध  में मुझे सारे अक्षर  दिखाई देने लगते है :
हर अक्षर मुझे अपना मतलव समझता है :अपने बारे में बताता  है :
मगर समय के आभाव के कारण मुझे वो इस्थान छोड़ना पड़ता है :
क्यों कि में एक  संसारिक इन्शान हु  मेरे सामने भी काफी मजबूरियां है :
फिर भी में आपको कुछ ऐसी बाते बताउगा :
जो आपने कभी पड़ी भी नही होगी और ना कभी  लिखी  होगी और नही कभी सुनी होगी :
अक्षर क्या है :
अ  इ   उ   ए   अं
क  ख   ग  घ   ड़
च  छ   ज  झ 
अक्षर की मूल गहराई क्या है :
क्या  इन्शान अक्षर को पढ़कर  डोकटर इंजिनियर अध्यापक बकील जेसी पोस्ट को ही पासकता है :
कि  कुछ और भी है : जी हाँ अक्षर अपने आप में बहुत कुछ रखते है :
अक्षर को हम लोग एक इस तरह इस्तेमाल करते है :
जिस तरह से एक घर मालिक अपने घर को बनाने के लिए :
ईट सीमेंट रेती मिटटी सलिया गाटर पत्थर का स्तेमाल करता है :
उसी तरह हम अक्षरों को पदाई में स्तेमाल करते है :
जिस तरह से घर मालिक सारी चीजो को लगाकर एक महल या बगंला बना सकता है :
मगर उस में खुशियाँ नही ड़ाल सकता :
उसी तरह हम अक्षरों को पढके सभी पोस्टो को पासकते है :
मगर ज्ञान नही पासकते :क्यों कि ज्ञान पढाई में नही  है :
ज्ञान अनुभव में बस्ता है :ज्ञान योग में छुपा है :
आज का इन्शान सिफ पढ़ता है तो नोकरी के लिए :
या शादी के लिए या किसी पोस्ट के लिए :
व्रहम ज्ञान के लिए कोई नही पढ़ता :
अक्षर को पहले जाने और फिर पढ़े :तो पढ़ाई का मतलव ही कुछ और निकलेगा :
अक्षर का  काम है आपके घर में ख़ुशी लाना :
अक्षर का ज्ञान पाना आपका काम है
अक्षर की जानकारी के लिए
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पता
हेनी गारमेंट :
परा बजार लुनावाडा :
पंच महेल गुजरात :इण्डिया
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फोन न 09904271497 :
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कोपी रायट  2010 2011
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बुधवार, 13 जुलाई 2011

{} अक्षरों का अवतार भाग { 5 }

     {}  अक्षरों का अवतार भाग  { 5  }
अक्षरों का  अवतार के सभी भागो में आपको वो जानकारी दी जारही है :जो आज तक इस प्रथ्वी पर किसी ने भी ऐसी जानकारी नही दी होगी  :और नही कोई ऐसी जानकारी आगे  आपको दे पायेगा :
व्रह्मांड से लेकर भूमंडल तक की जानकारी देवो से लेके मानव तक की जानकारी
हाथी से लेके चिंटी तक का इतिहास चौधरी अक्षर ज्योतिष छुपा है :
चौधरी अक्षर ज्योतिष की किताबे आप लोगों तक बहुत ही जल्दी  पहुचेगी  :
ये किताबे आप फोन पर मगा सकते हो :
किताबो के नाम ये है
{१ }चौधरी अक्षर ज्योतिष :
{2}अक्षर शास्त्र :
{3}अक्षर साधना :
{4}अक्षर योगा :
{5}अक्षर विद्या :
पांच किताबे प्रकाशित होरही है:
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चौधरी अक्षर ज्योतिष की किताब पारिवारिक इन्शानो के लिए है :
जिस में गृहस्थी  से  जुडी सभी समस्याओ का समाधान है जेसे  की :
मकान दोष  : नारी दोष :पुत्र दोष :पित्रू दोष :जन्म जात दोष :दिशासुर :
फेक्ट्री मील दूकान के नाम दोष :घर मकान दूकान फेक्ट्री मील बास्तु दोस निबारण :
घर में रसोई :दोष : ऑफिस दिशासुर जेसी समस्याओ समाधान है :
और पति पतिनी का जोड़ा केसा रहेगा :बच्चो के नाम कर्ण केसे करे :
अपनी बहन बेटी के लिए वर देखने का तरीका भी इस किताब में होगा
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अक्षर शास्त्र  :शास्त्रियो के लिए है :
और अक्षर योगा :योगियों के लिए है :
अक्षर साधना : साधको के लिए है :
और अक्षर विद्या :टीचर और प्रोफ़ेसर के लिए :
इन सभी किताबो के लेखक :जगदीश भाई चौधरी :
जगदीश भाई चौधरी 
पता  हेनी गारमेंट :परा बजार लुनावाडा पंचमहेल गुजरात इण्डिया :
फोन न 09904271497
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लेखक :
जगदीश भाई चौधरी 
पता  हेनी गारमेंट :परा बजार लुनावाडा पंचमहेल गुजरात इण्डिया
फोन न 09904271497

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सोमवार, 11 जुलाई 2011

{} अक्षरों का अवतार भाग { ४ }

                                                                 


                      

[] अक्षरों का अवतार भाग { 3 } []

[] अक्षरों का अवतार भाग { 3 } []

  

  •                                         

                           {}    चौधरी अक्षर ज्योतिष      {}

          हम बात कर रहे  है चार अक्षर मात्रा के बिना है  : अ इ उ ए   {}जो आप ऊपर चित्र में देख सकते हो
बाकी के अक्षरों  मात्रा लगी हुई है और ये चार अक्षर मात्रा हिन् है   ऐसा क्यों हुआ :
 क्या इनको मात्रा देना कुदरत को मंजूर नही था :
या इनको किसी का स्वर  नही मिला क्या वजह  हो सकती है  :
आज व्रह्मांड को बने हुए न जाने कितने करोड़ वर्ष बीत गये :
मगर आज  भी बच्चो को इन चार अक्षरों को मात्रा बगेर ही  पढाया जाता है :  
सभी मास्टर बच्चो को मात्राओ के बारे में बताते है बाद में जब मात्राओ की बारी आती है :
कि ये छोटी इ की मात्रा है :और ये छोटे उ  की मात्रा है और ये छोटी ए की मात्रा है :
ये तीनो की मात्रा के बारे में तो मास्टर बताते है :
मगर छोटे अ की मात्रा के बारे में तो कोई मास्टर नही बताता :ऐसा क्यों :
और ये :{इ उ ए  }तीन   अक्षरों पर मात्रा आई कहाँ से :क्या आपने कभी  जानने की कोशिश की
नही की होगी :और अगर आप मात्राओ को खोजने की कोशिश भी करते तोभी जानना मुस्किल होता :
लेकिन अब आपको मात्राओ को खोजने की जरूरत नही पड़ेगी :
 क्यों कि आज हम आपके सामने मात्राओ की सारी डिटेल रख देंगे  ::
हम आपको अक्षरों को  कुछ इस तरह से पढ़ायेगे कि आपका जीवन सफल हो जायेगा :
आप कभी अपने जीवन में दुःख नही देख  पाओगे :सुखसांति से आपका जीवन जाएगा
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और अधिक जानने के लिए आगे पढ़े :अक्षरों का अवतार भाग ४ :

[] अक्षरों का अवतार भाग { 4 } []

                      लेखक :जगदीश भाई चौधरी :
अधिक जानकारी के लिए हम से सम्पर्क करे :
फोन न ९१ .9904271497

रविवार, 10 जुलाई 2011

[] अक्षरों का अवतार भाग { २ } []

                                                                                                            {} चौधरी अक्षर ज्योतिष {}
                                             {}  वल्ड  बेस्ट  बुक         {}
चौधरी अक्षर ज्योतिष के बारे में पूरी तरह से जान्ने के लिए अक्षरों का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है
जब तक आपको अक्षरों का ज्ञान नही होगा तब तक अक्षर ज्योतिष  आपकी समझ में नही आएगी :
चौधरी अक्षर ज्योतिष का एक प्रेज़ भी :
आपने छोड़ दिया तो मानो कि  आपने बहुत ही महत पूण प्रेज़ छोड़ दिया :है
आप जितने प्रेज़ छोड़ दोगे उतने ही आप अक्षर ज्योतिष में कच्चे रह जाओगे इस में दोस हमारा नही आपका होगा जिस तरह छो अक्षरों का अवतार  हुआ  है :जो हमने {}अक्षरों का अवतार भाग एक बताया है {}अब आगे {}
अ इ उ ए ओ अं :{}चार अक्षर मात्रा हिन् : और दो अक्षर मात्रा के साथ उत्पन हुए : मात्रा यानी दो अक्षरों  की धुनी की ताकत हुई :दो अक्षरों के अंदर बहुत सक्ती  थी :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :{ उ   और ओ   की धुनी से बड़े { औ }का अवतार हुआ :}
{: ए और अं की धुनी से बड़ी  {अ: } का अवतार हुआ :
चार अक्षर बड़े ही प्रभाब साली हुए :और
चार अक्षर मात्रा हिन् :ही रहे :{}जिस तरह अ और उ  धुनी से ओ की उत्पत्ति हुई  थी उसी तरह उ और अ की धुनी से { आ }की उत्पत्ति हुई :
 :और इसी तरह  {} ए और इ  की धुनी से बड़ी { ई }की उत्पत्ति हुई :
{अँ } और ए की धुनी से बड़ी {ऍ }की उत्पत्ति हुई :
इस तरह बारह अक्षर धुनियो से  बने :
धुनी यानी स्वर : धुनी को ही हम सब स्वर कहते है :
इसी लिए इन बारह अक्षरों को हम स्वरों के नाम जानते है  मगर अब सबाल एक और खड़ा होता है :
 चार अक्षर मात्रा हिन है : शेष भाग नम्बर तिन पढ़े :अक्षरों का अवतार भाग ३
                                                    चौधरी

भाग { 1} अक्षरों का अबतार

                                                :   चौधरी अक्षर ज्योतिष  :
चौधरी अक्षर ज्योतिष की सुरुआत उस समय से होती है :
जिस समय आकाश और पाताल के सिवा इस दुनियां  में और कुछ नही था :
आकाश की गर्मी से  { अ  } उत्पत्ति हुई :
और पातळ सीतलता की लहरों से  { इ }उत्पत्ति हुई :
अ } की  धुनी से { उ } का अवतार हुआ :
और { इ } की धुनी से  { ए } अवतार हुआ :
अ और {उ } दोनों की धुनी से  { ओ } का अवतार हुआ :
इ }और ए } इन दोनों की धुनी से   { अं } का अवतार हुआ :

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

{} अक्षर और अम्रत {}

अक्षर के विषय में जब तक आपको पूरी तरह जानकारी न हो :
तब तक आप अक्षर को  किसी भी तरीके से  न अजमाए :
अक्षर से  हम ज्योतिष  देखे है तो सब से पहले हमें इस बात का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है :
कि कोंन से अक्षर कि कोंन सी दिशा है :और उस अक्षर की  उम्र क्या है :
इसके अलावा अक्षर सुबाव  क्या है :अक्षर का नेचर क्या है :कोंन से अक्षर पर किसकी मात्रा है :
और वो जो मात्रा वो अक्षर को  कितना नुक्सान देरही है :ये जानकारी बहुत ही जरुरी है :
आपके नामके लिए कोंनसा अक्षर जहर है और कोंनसा अक्षर आपके नाम के लिए अम्रत है :
ज्योतिष के लिए इतना जानना बहुत ही जरुरी है :
                                             {} इसे ही अक्षर योग है {}
अक्षर योग के विषय में इतनी जानकारी जरुरी है कि :
कोंन से अक्षर की कोंन सी अपने सरीर में स्वास  नली है :
जितने अक्षर है उतनी ही अपने सरीर में स्वास नली है :
कोंन से समय पर कोंन सी स्वास नली खुलती है :
और कोंसे समय कोंसी स्वास नली बंद होती है :
जेसे बारह स्वर है : ये
अ     इ    उ    ए    अं
इनके  बारह ही स्वर नली :
ये ३६ :ब्यंजन है :इनके भी अपने सरीर ३६ स्वर है ओर ३६ स्वर नली है :
ये जानकारी बगेर आप अक्षर योग नही कर सकते :
और कोनसा अक्षर आपको समाधि की ओर लेजायेगा :
कोंन अक्षर नाभी का है :
ऐसा किसी भी प्रकार का आपको ज्ञान नही ओर आप अक्षर योग करने बेथ गये :
तो आपको हानि ही होगी :
बहुत से लोगोके बारे में आपने  सूना होगा  :
कि वो कोई जाप करते करते पागल होजाते है :
क्यों होजाते है :कि वो किसी से  थोड़ी सी जानकारी लेते :
या किसी किताब कानकारी कर लेते है ओर
जाप कने बेठ  जाते है :योग कने लगते :
नतीजा भयानक होता :
बिना गुरु के कोई भी चीज को पाना नामुनकिन है :
अ     इ    उ    ए    अं =
क  ख     ग     घ   ङ =
च  छ    ज    झ    ञ =
ट  ठ      ड     ढ     ण =
त  थ    द     ध     न =
प  फ    ब    भ   म  _
य   र     ल    व्
श  ष      स     ह
.......................................................

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

अक्षर गंगा

आज में वृह्म्मांड के उस पिलेट्फार्म पर खड़ा हूँ :
जहां से मुझे सारी कायनात अक्षर ही नजर आती है :
मेरी जहां तक नजर जाती है :अक्षर ही नजर आते है :
सतयुग से लेकर कलयुग  तक :
गीता से लेकर रामायण तक :
और रामायण से लेकर पुराणो तक :
और पुराणो से लेकर वेदों तक :
मुझे अक्षर ही नजर आते है :
अगर ये अक्षर न होते तो क्या होता :
मेरी नजर से देखो तो न मानव होता न दानव होता :
न आकाश न पाताल होता :
न पृथ्वी होती न कोई भूमंडल  होता :
होता तो बस शून्य होता :
मेरे अंदाज पहले शून्य ही होगा :
लेकिन शून्य होगा तो शून्य का मतलव है निराकार :
और निराकार को साकार बनाने बाला कोंन है :
हिन्दू धर्म के हिशाव से तो
वृह्म्मा  विष्णु  महेश है :अगर   वृह्म्मा  विष्णु  महेश है :
तो  इन तीनो के  नाम किसने रक्खे थे :
वो नाम रखने बाला कोंन था :
इन तीनो देवो के  नाम रखने के लिए अक्षर कहाँ  से आये थे :
हम ने बुजुर्गो के मुख सूना है :
की वृह्म्मा जी कमल के   फूल में से  निकले थे :
अथाल जल में  कमल आया कहाँ से :
उस कमल हो उगाने बाला कोंन था :
में मानता  हु  की कमल पानी में उगता है :
मगर यहाँ पर भी कई सवाल खड़े होते है :
की बिना हवा के बिना उर्जा के कमल खिला केसे :
और वृह्म्मा जी बाहर निकले केसे :?
 में मानता हु  कि आपकी नजर में ये मूड ज्ञान है :
मगर सब से बड़ा सवाल एक और भी है :
कि इतना जल { पानी } आया कहाँ से :
क्या जल को भी कोई गंगा कि तरह  लाया  था :
अगर लाया गया था तो वो कोन था ?
और जल { पानी } किस ने नाम रक्खा ? क्या अक्षर  तव  भी थे
वृह्म्मा जी से पहले भी कोई था ?अगर था तो वो कोन था :?
और पानी वहां पर पहले  से ही था तो इतना पानी आया कहाँ से ?
विज्ञान कहती है :कि पानी की उत्तपति  आग से होती  है :
अगर पानी की उत्तपति आग से हुई है :तो उस समय तो आग हो ही नही सकती :
इसका मतलव है आकाश गर्म है :
और आकाश गर्म है तो उसे गर्म करने बाला कोन है ?
क्या वो भगवान है : जो अपनी सकती से  आकाश को गर्म कर रहे है :
या अक्षरों कि सकती इतनी है   :
इसकी खोज अभी चालू है :
इस बिसे में किसी के पास अगर कोई जानकारी है तो हमें मेल करे :
इमेल :chiraglunawada@yahoo.com  पर या हमें फोन करे :
09904271497 पर :
लेखक :जगदीश भाई चौधरी

सोमवार, 4 जुलाई 2011

[] शनिदेव क़ी साडेसाती से मुक्त किया जासकता है साड़े सात मिनट में {}

[] शनिदेव क़ी साडेसाती से मुक्त किया जासकता है साड़े सात मिनट में {}


सभी   मुझ से बड़े महान पुरुषो को ज्योतिष और शास्त्री  को और सभी गुरू जानो को :  जगदीश भाई चौधरी का बार बार नमन :में जो भी लिखता हूँ मानव के हित के लिए लिखता हूँ :सभी लेखो को लिखने में न मेरा कोई स्वाथ है  ना ही   मुझे कोई  लोभ है न मुझे किसी भी प्रकार का कोई लालच है  :ना ही मुझे नाम कमाने का  शोख  है :में अपने गुरु के आशिर्बाद से और भगवान क्रपा से  मातारानी की महेरवानी से सर्व सुखी इन्शान हूँ :
में जो ज्योतिष करता हूँ :
उसकी कोई फी कि कोई भी और किसी भी प्रकार की GIFT   स्वीकार   नही करता :
अगर मेरी लेखनी में कोई भूल होती है :
 तो में  क्षमा   पात्र हूँ :क्यों आज में लिखने जारहा हूँ  :
वो कोई आशान चीज नही है  :जिस के मारे सारी दूनियाँ दहलाती है :
जिसका नाम सुनते ही:
लोगो के शरीर  कांपने लगते है  :
भगवान हो या देव :
नाम सुनते पसीना आजाता हैं :
क्यों कि वो हैं शनिदेव :
जिस समय सनी क़ी साड़ेसाती आती हैं :
राजा को भी फकीर बनाजाती है :
मगर अक्षरों को शनिदेव ने भी काफी मान दिया हैं :
क्यों कि अक्षरों से ही सभी देवी देवताओ के  यंत्र मन्त्र बनते है :
आरती हो या अराधना होती है स्तुति हो या बिनती हो :
अक्षरों से ही कि जाती है :
इसी लिए अक्षरों को सभी देवो ने  भी अपने से बढकर माना है :
जब सभी देवो ने अक्षरोंको अपने बड़कर  माना है तो इन्शान क्यों नही मानेगे :
जरुर मानेगे आज नही तो कल मानेगे :
फर्क इतना होगा कि पड़ने के लिए चौधरी अक्षर ज्योतिष तो होगी :
मगर समझाने के लिए जगदीश भाई चौधरी नही होंगे :
क्यों कि अमर कोई नही रहा तो हम कहाँ हौंगे
अक्षरों के सिवा :इस दूनियाँ में कोई अमर नही है :
अक्षर अमर है और अमर ही रहेगे :
जिन्होंने अक्षरों को  पूरी तरह जाना है :
वो  अमर होगये :है
और जिन्होंने अक्षरों नही जाना वो मिट्टी में मिल गये :
अक्षरों का इतिहास बहुत बड़ा है आगे और भी लिखता रहुगा अगर इश्वर   कि क्रपा बनी रही तो और अक्षरों ने साथ दिया तो :और  भी  आगे  लिखता  रहुगा  :
अब आते है मेंन  बात पर :
तो मेरे   प्रिय जानो अक्षर कि सकती के बल से :
विश्व के किसी भी कौने में इन्शान हो और उसपर शनिदेव क़ी साड़े साती चल रही हो  तो अक्षरों  से ही शनिदेव की साड़े साती को साड़े सात मिनट  में आजीवन के लिए
अक्षर क़ी सकती से शनिदेव क़ी साडेसाती से मुक्त किया जासकता है  फोन  पर ही  फोन   न 9904271497
लेखक  : जगदीश  भाई  चौधरी :

लेखक जगदीश भाई  चौधरी परा  बाजार लुनावाडा  गुजरात  


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शनिवार, 2 जुलाई 2011

:क्या हिंदी एक भाषा ही है :कि कुछ और भी है :जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष में :

 :क्या हिंदी एक भाषा ही है :कि कुछ और भी है :जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष में :
मेरे प्रिय दोस्तों ..:हिंदी हिन्दुस्तान की भाषा तो हैं ही लेकिन हिंदी हिंदी भाषा के अलाबा एक विज्ञान भी है :
एक ऊर्जा शक्ति है :
हिंदी के हर एक अक्षर में वो शक्ति है जो पूरे ब्रह्मांड में इतनी शक्ति किसी में भी नही है :
हिंदी के हर एक अक्षर के स्वर में वो ध्वनी छुपी हुई है :
जिसे सुनकर भगवानो के  सिंगांसन तो क्या आकाश पाताल  भी हिलने लगते    है  :
हर एक अक्षर के स्वर में इतनी शक्ति है :
हिंदी भाषा का हर एक अक्षर हर एक शब्द बहुत ही अनमोल है मानव के लिए :
मगर हम भारत वासियों ने अपनी भाषा की कोई कदर नही की :
और हम दुसरे देशो की भाषा में ऐसे लुप्त  गये कि हम अपनी भाषा तो क्या हम  अपने संस्कार  भी भूल गये :
आपको शायद ये नही पता कि हिंदी के हर  एक से हमारे देवी देवताओ के यंत्र  मन्त्र तन्त्र छुपे हुए है :
एक मन्त्र को सिध्ध करने से हमारे देवी देवता हम पर प्रसंद   हो जाते हैं :
हिंदी के हर एक अक्षर में वो वशीकर्ण   छुपा हुआ है 
जिसे चाहो उसे अपने बस में कर सकते हो :
मेरे भाईयो हिंदी का हर शब्द सनातन है :
हिंदी के हर एक अक्षर की ध्वनि हमको  एक  नया पैगाम देती  है  मगर हम समझ नही पाते हम अपनी जिन्दगी की उलझनों में इतने उलझे रहते कि हम को कुछ पता ही नही होता
कभी एकांत होकर   आप अपने शरीर पूछो कि अक्षर क्या है हिंदी के  हर शब्द का मतलव  क्या है ? 
शायद आपको पता नही कि हमारी  भाषा एक विज्ञान है
 व्याकरण हमें इनकी  परिभाषाओं से जानकारी  करवाते हैं . लेकिन हकीकत  में हम उसकी मूल गहराई  के विषय में नहीं जानते कि अक्षर की  भी कोई मूल गहराई  होती है . लेकिन जैसे ही हम अक्षरों के विषय में सोचते हैं तो एक रोचक सा संसार हमारे सामने  उपलध  होता है . हम जितनी गहराई से अक्षर को समझेंगे उतनी ही गहराई  हमारे सामने आती जायेगी :हम अक्षरो के बारे में जितना जाने उतना ही कम है : 
 जी हाँ वास्तविकता तो यही है :  यह प्रश्न उठना  भी स्वाभाविक है , कि  इसका हल हमारी बुद्धि के अपेक्षा  बहुत ज्यादा    है : आज से कुछ बर्षो पहले जब हमारे पूर्वजो के यहाँ जब बच्चा पैदा होता था तो :बड़े बड़े विद्वानों को ऋषि मुनि को बुलाकर अपने बच्चे का नाम कर्ण कराते थे :  
और वो विद्वान बच्चे का नाम कर्ण करने से पहले उन अक्षरों को सिद्ध करते थे जिन अक्षरों से बच्चे का नाम कर्ण करना होता था : तब जाके बच्चे का नाम रखते थे :
पहले जेसे शूरवीर आज नही है तो उसका कारण यही है :कि आज के जमाने में नाम अपने आप रखते है :
जो मुह में आगया वही नाम बच्चे का  रख दिया :
तो आप खुद ही सोच सकते हो कि धरती वीरो से क्यों खली है :
दोहा ::{}  ऋषि मुनि अब रहे नही और ज्ञान का होगया अंत :
               अक्षर विद्या  अब कहाँ मिले इंग्लिश बोले साधू संत :
अब  बात करते हैं कि ध्वनि क्या है ? 
आम तौर पर "आवाज" को हम वैज्ञानिक भाषा में हम  ध्वनि कहते हैं . 
जेसे कि हरमुनियम में जिस प्रकार स्वर होते है :
वेसे ही स्वर हमारे अंदर भी होते है :-
नाक कान मुंह गला आँखे दांत जीभ :
जिस जिस जगह से अपने शरीर में से स्वर निकल ते है :
उन सभी स्वरों का मतलव अलग अलग होता है :
इसी प्रकार अक्षर  योग होते है और इसी प्रकार अखर साधना होती है :
.  जिसे हमने अक्षर  साधना के बल पर महसूस किया है , उसे सब के समक्ष कैसे करेंगे . 
 प्रक्रिया की आवशयकता होती है . नियंत्रित  ध्यान के माध्यम से इस "नाद" को सुना जाता है, महसूस किया जाता है . चित्त  को  ( आत्मा को परमात्मा से ) जोड़ना ही योग है . लेकिन इस जुड़ाव के लिए भी कोई ना कोई माध्यम तो चाहिए ही , औअ इ उ ए अं = 
क ख ग घ ङ = 
च छ ज झ ञ = 
ट ठ ड ढ ण = 
प फ ब भ म = 
त थ द ध न य र ल व     
श ष स श्र..
 ह क्ष ज्ञ त्र


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ये लेख आपको केशा लगा अपनी राय जरुर भेजे:
और आपको इस लेख से क्यों जानकारी मिली ये जरुर लिखे:
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चौधरी अक्षर ज्योतिष के:

लेखक: जगदीश भाई चौधरी:

फोन 09904271497 न:

पता: हेनी गार
र वह है चौधरी अक्षर ज्योतिष:
अक्षर के विशे  में  और  अधिक  जानने   के लिए पढ़ते रहे चौधरी अक्षर ज्योतिष :;;;;;;;;
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क्या हिंदी एक भाषा ही है :कि कुछ और भी है :भाग  { 2 } जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष में :
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मंगलवार, 28 जून 2011

शनिवार, 25 जून 2011

{} भाग्य हिन् संतान :कौन से कारण बस पैदा होती हैं जाने चौधरी अक्षर ज्योतिष मैं {}

भाग्य   हिन् संतान कौन से कारण बस   पैदा होती हैं  जाने  {}
{1} पिता  को नारी दोस हो............
-  और  पिता  की उस अवस्था में'अक्षर  स्वर अन्दर  का चल रहा हो
- अथवा तो पिता को जन्म जात दोस हो  ::
माता का भी अक्षर  स्वर अंदर का हो  तो
भाग्य   हिन् संतान   पैदा होती हैं :
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{२} रात्रि के समय माता पिता दोनों के चन्द्र स्वर बंद हो
और सूर्य स्वर चालू हो उस समय की हुई सन्तान में बुद्धि  की कमी होती है :
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{ ३ }दिन के समय माता पिता दोनों के सूर्य स्वर बंद हो    
और चन्द्र स्वर चालू  हो उस समय की हुई सन्तान में आखो  की कमी के साथ साथ बुद्धि की कमी होती है :
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{ ४ }दिन के समय  पिता दोनों के सूर्य स्वर बंद हो   :
पिता  को नारी दोस हो ने  के साथ साथ पिता का अक्षर स्वर बंद का चल रहा हो
-  और  माता को जन्म ज़ात दोस हो :
या माता का  अक्षर स्वर अंदर हो तो गर्भ में बच्चे की म्रत्यु हो जाती  है  :
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{ ५ }रात्रि के समय माता पिता दोनों के चन्द्र स्वर बंद हो पिता  को नारी दोस हो ने  के साथ साथ पिता के नाम में मारकेश अक्षर स्वर बंद का चल रहा हो

-  और  माता को जन्म ज़ात दोस हो :
या माता का  अक्षर स्वर अंदर हो:
या माता का अक्षर स्वर बंद का हो तो गर्भ में बच्चे की म्रत्यु हो जाती  है  :......................................................................................................................

अधिक जानकारी के लिए हम से सम्पर्क करे :
फोन न ९१ .9904271497......................................................................................................................

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

भारत की कल्याण कारी ज्योतिष :अक्षर ज्योतिष:

चौधरी अक्षर ज्योतिष :भारत की ही नही  बिश्व की पहली अक्षर ज्योतिष है :
जिसे ३२ साल की महेनत के बाद पूण किया गया है :
और हजारो लोगो पर रिसर्च किया गया है :
सभी ने इस अक्षर ज्योतिष की  काफी सराहना की है :
अब हम ये चाहते है कि केंद्र सरकार:
सभी राज्यों में राज्य भाषा में चेंज कर के कोलेज के स्टुडेंट्स को पढाया  जाय :
जिससे वे अपने जीवन को खुशहाल बना सके :
भारत की कल्याण कारी  ज्योतिष :अक्षर ज्योतिष:
सब से बड़ी बात तो इस अक्षर ज्योतिष की ये है कि :
इस अक्षर ज्योतिष से  इन्शान अपना भूतकाल भविषकाल और बर्तमान "
आसानी से देख सकता  है:
और उनका उपाय भी  कर सकता है  :
औरअंधश्रधा अंध विस्वाश और अंधकार से  बाहर निकल सकता है :
इस अक्षर ज्योतिष की सबसे बड़ी सकती है :कि
इन्शान अपने बारे में पूरी तरह से जान जाता है :
कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नही :
बच्चे के नाम कर्ण से लेकर शादी विवाह नोकरी :
घर का वास्तु :दिशासुर :नारी दोस :पितृ दोस :
मकान दोस भूमि दोस अक्षर ज्ञान जेसी बाते इस :
अक्षर ज्योतिष है :उपायों के साथ :उपलध है :
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अधिक जानकारी के लिए हम से सम्पर्क करे :
फोन न ९१ .9904271497
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गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

पति पत्नी और बेटा स्वर दोस भाग दो {२}

अक्षर ज्योतिष को बहुत ही आशानी से समझा जा सकता है : ये अक्षर ज्योतिष आपके   परिवार 
का भविष्य बनाने के लिए बनी है : ये अक्षर ज्योतिष आपको गुमराह होने  से  बचाएगी : ये अक्षर ज्योतिष आपके कार्य को बढायेगी :आपको उन्नति दिलाएगी :
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 स: २१ मी सदी की नयी ज्योतिष :चौधरी अक्षर ज्योतिष

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प्रिय दोस्तों  ,  :आज हम आपको  बतायेगे  पिता और पुत्र के स्वर के विशे  में :
जो आपके परिवार के लिए बहुत अनमोल ये जानकारी होगी :
और आपको ये जानकर बहुत ही ख़ुशी होगी कि अक्षर  स्वर ज्ञान कितना अनमोल ज्ञान है :
ये अक्षर स्वर को समझना बहुत ही आसान  है  : स्वर  तीन {3}प्रकार होते है  एक अंदर का :
और दूसरा  बाहर का  और तीसरा होता है बंद जो कि स्वरबंद के नाम से पहेचाना  जाता है :
जो अक्षर मुह में जाकर मुह को बंद करदे वो स्वरबंद होता है और ये स्वर जब बनता है :
जब कोई अक्षर दुसरे अक्षर को मार रहा हो :ये रहा स्वर ज्ञान :
अब हम आपको बतायेगे कि ये स्वर अपने रिश्तो पर क्या असर करते है :
सब से पहले हम आपको बतायेगे उस रिश्ते के बारे में जिस रिश्ते से जीवन की :
शरुआत होती है  वो रिश्ता है पति और पत्नी  का :

पति पत्नी  के रिश्ते से जीवन की शरूआत होती है :
शादी करने से पहले स्वर मिला कर जरुर देखे :
स्वर दोनों का अंदर का तो नही होता है :
अगर स्वर  दोनों का अंदर का बनता है तो शादी न करे :
और अगर स्वर बंद का होता है तो शादी बिलकुल  ही न करे :

                  स्वर की पहचान कैसे करे 
स्वर की पहेचान करने का तरीका :
पहले लडके के नाम का पहला अक्षर ले :जेसे कि {र }
और बाद में लडकी के नाम का पहला अक्षर ले :जेसे कि { म }
फिर दोनों अक्षरों  को जोड़े  रम    और फिर दोनों अक्षरों को एक साथ बोले :रम 
ये स्वर बनता है : बंद का :रम :इस तरह स्वर मिलान करे
और ऐसे रिश्ते  कभी भी ना करे

अगर स्वर बाहर का बनता है तो शादी करे : जेसे कि 
लड़के  के नाम का पहला अक्षर है {र } 
और लडकी के नाम का पहला अक्षर है : स:
दोनों का स्वर देखो : रस आने सर
      ये स्वर दोनों तरफ से बाहर का होता है :
ऐसे जोड़े बड़ी किस्मत से बनते है :
आप भी किस्मत वाले बने और अपने घर में ऐसे जोड़े बनाए :
                     पिता और पुत्र  का मिल
और जब आपके घर में  पुत्र पैदा हो तो भी ऐसे ही नाम कर्ण करे :
पिता और पुत्र का स्वर दोनों तरफ से बाहर  का होना चाहिए :
अगर आप इन स्वरों का इस तरह से  ध्यान रक्खोगे तो :
आपका परिवार भारत का सर्वश्रेष्ट परिवार कहलायेगा :
भले ही आप कितने भी  नोर्मल परिवार के क्यों  न हो  
स्वर अपना काम कर के ही बतायेगा :
पुत्र का नाम कर्ण करने से पहले :
ये आप जरुर ध्यान देना कि आपको पुत्र दोस न लगे  : 
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चौधरी अक्षर ज्योतिष के :
लेखक :जगदीश भाई चौधरी :
लुनावाडा परा बजार गुजरात {इंडिया }
फोन न : 09904271497 :
 कोपी रायट २०१० :२०११ :
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बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

लक्ष्मी योग :घर में शुख सांति और समुर्धि पाने का एक आसान योग :भाग {1}


 लक्ष्मी योग  :घर में शुख सांति और समुर्धि  पाने का एक आसान  योग   :भाग {1}
जिस तरह से भगवान सिव सो रहे है :आप भी सुवह और साम ऐसे ही  कम से कम :
दस मिनट सोया करे :आपके जीवन में कभी भी परेशानियां नही आयेगी :
मात्र दस मिनट सोने से आपका का घर खुशियों से भरता है तो इस से अच्छा :
तरीका आपके घर को आबाद करने का क्या होगा :
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                                    {}सुबह सोने का  तरीका {}
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जब आप सुबह जगे तो सब से पहले :करबट ले जेसे भगवान सिव ने ली है :
सीधा हाथ आपके धड के उपर रक्खे :
और खेरा हाथ कान के नीचे मोड़ कर रक्खे :
ये और भी अच्छा तरीका है :और जेसे भगवान सिव सोरहे है :
ऐसे भी आप सो सकते हो :ये दो तरीके है :आपके सोने के :
जब तक आपकी नाक का सीधा स्वर न  खुले  तब तक आप सोते रहे :
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                            {}रात को  सोने का  तरीका {}
                         .......................................................
रात सोते समय सीधा हाथ मोड़ कर कान के नीचे होना चाहिए :
और उल्टा हाथ धड के उपर होना चाहिए :
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                               {} खास जानकारी {}
जेसे भगवान शिव का उपर का पैर मुड़ा हुआ है :
आपके दोनों पैर ऐसे ही मुड़े होने चाहिए :
और मुह से श्वास नही लेनी चाहिए :
किसी के साथ बात नही करनी चाहिए :
श्वास को नाक से ही ले :कोई भी प्रकार का  जोर न करे :
आँख  बंद कर के बस पड़े रहे :
और सरीर को अपने हिसाब से श्वास लेने दे :
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चौधरी अक्षर ज्योतिष के :
लेखक :जगदीश भाई चौधरी :
लुनावाडा परा बजार गुजरात {इंडिया }
फोन न : 09904271497 :
 कोपी रायट २०१० :२०११ :
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अक्षर ज्योतिष को बहुत ही आशानी से समझा जा सकता है :ये अक्षर ज्योतिष आपके परवार का भविष्य बनाने के लिए बनी है :ये अक्षर ज्योतिष आपको गुमराह होने बचाएगी :ये अक्षर ज्योतिष आपके कार्य बदाएगी :आपको उन्नति दिलाएगी
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