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शनिवार, 13 अगस्त 2011

भक्ति सागर भाग { 1

                                                       आजके युग  का सब से बड़ा सबाल
                                                        भगवान् हमारी क्यों नही सुनता  ;
                                                        भगवान् हमें दर्शन क्यों नही देता :
                                                        भगवान् हमें क्यों नही मिलता :
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इस प्रकार के सबाल इंसान के दिल में व्रह्म पैदा करते रहते है :
हर इंसान अपने आप में अकेला सा महसूस करता है :
हर इंसान समझोते की जिन्दगी जी रहा है :
मगर इस बात का सही रास्ता कोई नही जानता :कि
हमें भगवान् क्यों नही मिलते हमें दर्शन क्यों नही देते  :
आस्था का कटोरा लेकर दर बदर भट्कते रहते है :
बिन मंजिल के राही की तरह :
मगर कोई अपने आपसे नही पूछता कि भगवान हमें दर्शन क्यों नही देते :
देखा देखी ना ना प्रकार से भगवान को मनाने में लगे है :
कोई न्हलारहा  है कोई कपडे पहना रहा है :
कोई मुह से बुला रहा है :कोई मायक से बुला रहा है :
क्या भागवान कोई इंसान है जो इस तरह से सुन लेगा :
वो भगवान है निराकार है वो अंतर यामी है : भगवान को दिल से याद करना पड़ता है :
दिल ही  से बुलाना पड़ता  है:
आजके जमाने में भगवान को मनाने में एक दोड़ सी लगी हुई है :
मगर अफ़सोस सभी के हाथ खाली है :
जब कि इंसान अपनी आस्था में कोई कमी नही छोड़ रहा :
ना ना प्रकार के चढ़ावे  भगवान को चढ़ाये  जारहे है :
पर हाथ खली के खली है :
मेरे प्रिय मित्रो भगवान को मनाने का एक सही उपाय हम आपको बताते है :
आप अजमाकर जरुर देखे :
{१} उपाय : धुला हुआ आसन :नाक के दोनों खुले हुए स्वर होने चाहिए  :
      आँखों की दोनों पलके मिली हुई होनी चाहिए :
        और हॉट बंद होने चाहिए और ध्यान आखो की दोनों पलकों पर
       आखे कुछ इस तरह बंद होनी चाहिए कि न तो आखो में उजाला हो और न अधेरा :
पहले दिन आप 5 मिनट करे फिर हर रोज एक मिनट बड़े :
अगर आपके के नाम के अक्षर सीधे है :तो आप जिस देव को मानते है वो देव कुछ ही दिनों में आपके सामे होंगे :
अगर आपके के नाम में अक्षर सीधे न हो :और मात्रा सीधी हो तो :
अगर आपके नाम में कोई मात्रा नही है :और आपके नाम के अक्षर सीधे है तो बात ही क्या है :
 फिर भी  आप इस आसन को करने से पहले :एक बार हमसे जानकारी जरुर लेले
हमारा फोन न 09904271497 :


{} अक्षर ज्ञान और जिन्दगी का समाधान : {} भाग 2 {


तिस महीने  से इंटर नेट की दुनियां में : काफी हल चल मचा रही चौधरी अक्षर ज्योतिष :
हर इन्शान को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ये अक्षर ज्योतिष है तो क्या है :
क्या अक्षरों से इन्शान अपना भविष्य देख सकता है :
क्या इन्शान अपने अंदर उर्जा सकती बढ़ा सकता है :
क्या अक्षरों से इन्शान अपनी मंजिल को पासकता है :
क्या अक्षरों से इन्शान  अपने दुखो का नास कर सकता है :
क्या अक्षरों से इन्शान व्रहम ज्ञान  को पासकता है :
ना जाने ऐसे कितने सबाल इन्शान की जिन्दगी में उतल पाथल कर रहे है :
इन्शान कोई भी हो सबाल उसके अजीब होते है :
हौली बुड हो या बोलोबुड़ हो इन्शान किसान हो या मजदूर  हो :
बिजिनिस मेन हो या नोकरीयात हो नेता हो या अभिनेता हो
ज्योतिषी हो या आचार्य हो साधू हो या फकीर हो सबाल ओहो :
दांतौ तले  उगली दवा जाओगे ऐसे होते है :
कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि ये संसार दुखो का सागर है :
जिसे हम प्रथ्वी कहते है :
भारत के अलाबा ना जाने कितने देशो में से हमारे पास फोन आते है :
आज से कुछ बर्ष पहले हम तो यही सोचते थे कि दुःख सिर्फ भरत में ही है :
मगर जब से हम इंटर नेट की दुनिया में आये : और लोगो  के फोन आना सुरु हुआ
तब से हमे ये अह सास हुआ कि दुःख भारत में ही नही पुरे विश्व में है :
मगर हमने सभी की बातो को सुन ने बाद ये अहसास किया है कि :
इन्शान अपने ही पाले हुए दुखो से परेशांन है :अपनी सोच के कारण ही दुखी है :
मगर कुछ लोगो के दुःख  सही भी है :और सही भी इतने है कि उनको मिटाना लोखन के चना चबाने के बराबर है :
बचपन से लेकर बुढापे तक इन्शान ने कभी शुख की रोटी नही खाई ऐसे भी इन्शान मेरी जिन्दगी में आरहे है :
मगर अक्षर ज्योतिष के कारण अब वो सुख सांति से अपना जीवन वितित कर रहे है :
आप भी चौधरी अक्षर ज्योतिष से जुड़े और अपनी समस्या का समाधान करना सीखे :
अधिक जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करे :
पता :
हेनी गारमेंट : परा बजार लुनावाडा :
पंच महल गुजरात इण्डिया :
फोन न  09904271497:

कॉपी रायट २०१०.२०११
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{} अक्षर ज्ञान और जिन्दगी का समाधान {} भाग { 1 }


जब `भी में अकेले में बेठता हु : तो मुझे अक्षरों  की धुनी सुनाई देने लगती है :
मुझे उस समय ऐसा लगता है कि ये अक्षर मुझ से कुछ कहना चाहते है :
मगर उस समय पर में कुछ जादा समझ  नही पता क्यों कि उस समय हर अक्षर की घुनी अलग अलग होती :
मेरा मायंड घुमने लगता है
और उस समय मेरी आँखों के सामने एक धुंध सी छाजाती है
और धुंध  में मुझे सारे अक्षर  दिखाई देने लगते है :
हर अक्षर मुझे अपना मतलव समझता है :अपने बारे में बताता  है :
मगर समय के आभाव के कारण मुझे वो इस्थान छोड़ना पड़ता है :
क्यों कि में एक  संसारिक इन्शान हु  मेरे सामने भी काफी मजबूरियां है :
फिर भी में आपको कुछ ऐसी बाते बताउगा :
जो आपने कभी पड़ी भी नही होगी और ना कभी  लिखी  होगी और नही कभी सुनी होगी :
अक्षर क्या है :
अ  इ   उ   ए   अं
क  ख   ग  घ   ड़
च  छ   ज  झ 
अक्षर की मूल गहराई क्या है :
क्या  इन्शान अक्षर को पढ़कर  डोकटर इंजिनियर अध्यापक बकील जेसी पोस्ट को ही पासकता है :
कि  कुछ और भी है : जी हाँ अक्षर अपने आप में बहुत कुछ रखते है :
अक्षर को हम लोग एक इस तरह इस्तेमाल करते है :
जिस तरह से एक घर मालिक अपने घर को बनाने के लिए :
ईट सीमेंट रेती मिटटी सलिया गाटर पत्थर का स्तेमाल करता है :
उसी तरह हम अक्षरों को पदाई में स्तेमाल करते है :
जिस तरह से घर मालिक सारी चीजो को लगाकर एक महल या बगंला बना सकता है :
मगर उस में खुशियाँ नही ड़ाल सकता :
उसी तरह हम अक्षरों को पढके सभी पोस्टो को पासकते है :
मगर ज्ञान नही पासकते :क्यों कि ज्ञान पढाई में नही  है :
ज्ञान अनुभव में बस्ता है :ज्ञान योग में छुपा है :
आज का इन्शान सिफ पढ़ता है तो नोकरी के लिए :
या शादी के लिए या किसी पोस्ट के लिए :
व्रहम ज्ञान के लिए कोई नही पढ़ता :
अक्षर को पहले जाने और फिर पढ़े :तो पढ़ाई का मतलव ही कुछ और निकलेगा :
अक्षर का  काम है आपके घर में ख़ुशी लाना :
अक्षर का ज्ञान पाना आपका काम है
अक्षर की जानकारी के लिए
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पता
हेनी गारमेंट :
परा बजार लुनावाडा :
पंच महेल गुजरात :इण्डिया
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फोन न 09904271497 :
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कोपी रायट  2010 2011
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