ll ॐ नव शिवाय ll

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शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

{} अक्षर और अम्रत {}

अक्षर के विषय में जब तक आपको पूरी तरह जानकारी न हो :
तब तक आप अक्षर को  किसी भी तरीके से  न अजमाए :
अक्षर से  हम ज्योतिष  देखे है तो सब से पहले हमें इस बात का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है :
कि कोंन से अक्षर कि कोंन सी दिशा है :और उस अक्षर की  उम्र क्या है :
इसके अलावा अक्षर सुबाव  क्या है :अक्षर का नेचर क्या है :कोंन से अक्षर पर किसकी मात्रा है :
और वो जो मात्रा वो अक्षर को  कितना नुक्सान देरही है :ये जानकारी बहुत ही जरुरी है :
आपके नामके लिए कोंनसा अक्षर जहर है और कोंनसा अक्षर आपके नाम के लिए अम्रत है :
ज्योतिष के लिए इतना जानना बहुत ही जरुरी है :
                                             {} इसे ही अक्षर योग है {}
अक्षर योग के विषय में इतनी जानकारी जरुरी है कि :
कोंन से अक्षर की कोंन सी अपने सरीर में स्वास  नली है :
जितने अक्षर है उतनी ही अपने सरीर में स्वास नली है :
कोंन से समय पर कोंन सी स्वास नली खुलती है :
और कोंसे समय कोंसी स्वास नली बंद होती है :
जेसे बारह स्वर है : ये
अ     इ    उ    ए    अं
इनके  बारह ही स्वर नली :
ये ३६ :ब्यंजन है :इनके भी अपने सरीर ३६ स्वर है ओर ३६ स्वर नली है :
ये जानकारी बगेर आप अक्षर योग नही कर सकते :
और कोनसा अक्षर आपको समाधि की ओर लेजायेगा :
कोंन अक्षर नाभी का है :
ऐसा किसी भी प्रकार का आपको ज्ञान नही ओर आप अक्षर योग करने बेथ गये :
तो आपको हानि ही होगी :
बहुत से लोगोके बारे में आपने  सूना होगा  :
कि वो कोई जाप करते करते पागल होजाते है :
क्यों होजाते है :कि वो किसी से  थोड़ी सी जानकारी लेते :
या किसी किताब कानकारी कर लेते है ओर
जाप कने बेठ  जाते है :योग कने लगते :
नतीजा भयानक होता :
बिना गुरु के कोई भी चीज को पाना नामुनकिन है :
अ     इ    उ    ए    अं =
क  ख     ग     घ   ङ =
च  छ    ज    झ    ञ =
ट  ठ      ड     ढ     ण =
त  थ    द     ध     न =
प  फ    ब    भ   म  _
य   र     ल    व्
श  ष      स     ह
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